सुप्रीम कोर्ट से पत्रकार गंगा पाठक और पत्नी को बड़ी राहत, गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक

जबलपुर, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद पत्रकार गंगा पाठक और उनकी पत्नी ममता पाठक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एम.एम. सुंदरेष और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान सुनाया।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गंगा पाठक और उनकी पत्नी की अग्रिम जमानत इस आधार पर खारिज की थी कि वे फरार हैं और गिरफ्तारी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बाद दोनों ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष याचिका दाखिल की थी।

👉क्या है पूरा मामला ?
गंगा पाठक और उनकी पत्नी पर आदिवासी जमीन को फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए सामान्य जाति की बताकर बेचने का गंभीर आरोप है। जबलपुर के तिलवारा थाना (FIR क्रमांक 93/25) और बरगी थाना (FIR क्रमांक 120/25) में IPC की धाराएं 419, 420, 467, 468, 471 और SC/ST एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज हैं। पुलिस रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में कुछ रजिस्ट्रियां मृतकों के नाम पर भी कराई गई थीं।

👉एसडीएम जांच और पुलिस कार्रवाई
मामले की जांच एसडीएम अभिषेक सिंह ठाकुर की रिपोर्ट के आधार पर की गई। इसके बाद एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने गंगा पाठक, ममता पाठक और अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। गिरफ्तारी से बचते रहने पर पुलिस ने आरोपियों पर इनाम भी घोषित किया—गंगा पाठक पर ₹20,000, ममता पाठक पर ₹10,000 और द्वारका त्रिपाठी पर ₹15,000 का इनाम रखा गया था।

👉क्या बोले गंगा पाठक के वकील?
सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट मनीष क्षीरसागर और एडवोकेट रविशंकर यादव ने गंगा पाठक की पैरवी करते हुए दलील दी कि वे केवल जमीन के क्रेता हैं। जमीन की रजिस्ट्री उस समय हुई जब वह सामान्य श्रेणी की दर्शाई गई थी। बाद में पता चला कि वह आदिवासी भूमि है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई रिकवरी या प्रॉपर्टी क्लेम नहीं किया गया है, और केवल विक्रय पत्र को शून्य करना था। बावजूद इसके एफआईआर दर्ज की गई।

👉क्या होगा आगे?
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई है और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। हालांकि जांच अब भी जारी है और पुलिस विवेचना कर रही है। अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि गंगा पाठक और ममता पाठक को स्थायी राहत मिलेगी या नहीं।

यह मामला प्रशासनिक और न्यायिक दृष्टिकोण से बेहद अहम बन चुका है, जिसकी अगली सुनवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं।